वक्फ बोर्ड भारत की एक ऐसी संस्था , जो कभी भी आपके जमीन पर कब्जा कर सकती है , और आप इसके खिलाफ देश के किसी भी कोर्ट में नहीं जा सकते.
इस वक्फ बोर्ड ने आज देश के कई सरकारी संपतियो को वक्फ घोषित कर दिया है जैसे इलाहाबाद हाई कोर्ट , सूरत नगर निगम भवन , आगरा का ताज महल और प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ घोषित कर दिया हैं,
यही नहीं इस वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु के एक 1500 साल पुराना मंदिर समेत पूरे हिंदू बहुल गांव के 369 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है. .जबकि आपको जानकर आश्चर्य होंगा की ये इस्लाम धर्म तो मात्र 1400 साल पुराना ही धर्म है ,
.
तो आइए आज जानते है , ये वक्फ बोर्ड क्या है , और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में कार्य कैसे करता है.
तो देखिए वक्फ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है अल्लाह के नाम पर धर्मार्थ कार्यों के लिए सुपुर्द की गई संपत्ति. यानी अल्लाह के नाम पर दान की गई संपति. यह दान कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जिसका उम्र 18 वर्ष से अधिक हो .
अब भारत में , इस वक्फ का इतिहास दिल्ली सल्तनत के शुरू हुआ था , जब सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद के पक्ष में दो गाँव समर्पित किए और इसका जिम्मा शेखुल इस्लाम को सौंप दिया. बाद में जैसे जैसे दिल्ली सल्तनत और बाद में इस्लामी राजवंश भारत में फले-फूले, भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या बढ़ती गई.
19वीं सदी के आखिर में भारत में वक्फ को खत्म करने का मामला उठाया गया था , जब ब्रिटिश राज के दिनों में वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद लंदन की प्रिवी काउंसिल में पहुंचा था. इस मामले की सुनवाई करने वाले चार ब्रिटिश जजों ने वक्फ को “सबसे खराब और सबसे घातक किस्म की शाश्वतता” बताया और वक्फ को अमान्य घोषित कर दिया।
हालांकि, चार जजों के फैसले को भारत में स्वीकार नहीं किया गया और 1913 के मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम ने भारत में वक्फ संस्था को बचा लिया.
फिर साल 1923 में एक मुस्लमान वक्फ एक्ट पारित किया गया , जिसमे ये कहा गया की वक्फ अपनी सारी संपतियों का ब्योरा रखेगा और उसे सार्जनिक करेगा. , जो भी इसकी संपति से आमदनी होंगा , वह सिर्फ चैरिटी को जायेगा , और इसका देखभाल का कार्य सरकार के अंडर होंगी.
जब साल 1947 में भारत पाकिस्तान का बटवारा हुआ , तब भारत में मुसलमानो के कई संपति लावारिश पड़े थे , इन लावारिश संपत्ति को देखते हुए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने साल 1954 में वक्फ एक्ट लाए , ताकि भारत में रह रहे मुसलमान को इस्लामिक रीति रिवाज में बढ़ोतरी हो सके. इसी वक्फ एक्ट के तहत साल 1964 में वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई , और इसके मुख्य सदस्य के रूप में मुस्लिम विधायक , मुस्लिम एमपी , मुस्लिम वकील और मुस्लिम आईएएस अधिकारी को चुना गया.
धीरे धीरे वक्त गुजारा और अलग अलग सरकार ने वोट बैंक के लिए वक्फ में संशोधन किए…
लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा 22 नवंबर 1995 को वक्फ कानून में एक ऐसा संशोधन किया जाता है. जिस कारण वक्फ बोर्ड को जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए जाते है…
- वक्फ एक्ट 1995 के धारा 3 के तहत अगर वक्फ बोर्ड को लगता है , यह जमीन किसी मुस्लिम की है , तो वह उसपर अधिकार जमा सकता है. इसके लिए वक्फ बोर्ड को किसी सबूत की जरूरत नहीं है. वही आप वक्फ के खिलाफ कोर्ट भी नही जा सकते , आपको वक्फ बोर्ड द्वारा बनाया गया ट्रिब्यूनल कोर्ट मे ही केस लड़ना पड़ेगा , जहा सारे लोग वक्फ बोर्ड के ही सदस्य होंगे.
- वक्फ अधिनियम की धारा 85 में कहा गया है , कि अगर आप ट्रिब्यूनल कोर्ट को यह संतुष्ट नहीं कर पाते कि यह जमीन आपकी अपनी है, तो आपको जमीन खाली करने का आदेश दिया जायेगा. ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम फैसला होगा. आप इसके खिलाफ किसी कोर्ट ने नही जा सकते. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को नहीं बदल सकता.
- वक्फ अधिनियम की धारा 40 में कहा गया है कि जब वक्फ बोर्ड किसी व्यक्ति की जमीन पर दावा करता है, तो जमीन पर दावे को साबित करना वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि जमीन के असली मालिक को अपनी जमीन का मालिकाना हक साबित करने की जिम्मेदारी है. यानी अगर वक्फ बोर्ड किसी जमीन पर दावा करता है तो समझ लीजिए कि वक्फ बोर्ड उस जमीन का मालिक बन गया.
बाकी आप Waqf act 1995 का पूरा डिटेल गुगल से डाउनलोड करके पढ़ लीजिए ,
अब ये सारे एक्ट कांग्रेस सरकार द्वारा इसलिए लाया गया ताकि उनका मुस्लिम वोट बैंक बना रहे और वक्फ बोर्ड देश की जमीनों पर आराम से कब्जा करते रहे…
यही नहीं आपको जानकर आश्चर्य होंगा की जो प्रॉपर्टीज वक्फ बोर्ड के पास साल 2008 में 4 लाख के करीब था , आज आठ लाख 72 हजार के करीब हो गया… यानी 15 सालो में वक्फ बोर्ड की संपति दुगुनी बढ़ गई है… और ये वक्फ बोर्ड भारत का रेलवे और डिफेंस के बाद तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक बन गया है.
आज वक्फ बोर्ड ने ज्ञानवापी मंदिर , प्रयागराज का चंद्रशेखर आजाद पार्क को वक्फ घोषित कर दिया है.. वही आजाद पार्क , जहा चन्द्रशेखर आजाद जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.
आप इस रिपोर्ट को देखिए वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम के जमीन को ही वक्फ घोषित कर दिया है ,
इलाहाद हाई कोर्ट को ही वक्फ घोषित कर दिया , ताज महल तक को वक्फ घोषित कर दिया है. और अगर ऐसे ही ये कानून चलता रहा तो एक दिन आपके और हमारे घर पर भी वक्फ का दावा ठोक देंगे..
भारत के मशहूर वकील अश्विनी उपाध्याय बताते हैं कि वक्फ वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है…अवैध मजारों और नई-नई मस्जिदों के आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा करते जा रहा है वही अगर किसी का जमीन इसके आस पास पड़ती , तो उसे धमकाया जाता की , जमीन छोड़ दे नही तो उसकी पूरी जमीन वक्फ के नाम हो जाएंगी.
यही नहीं वक्फ बोर्ड अपने असीमित अधिकारों के दुरुपयोग से गरीबों का कन्वर्जन भी करवा रहा है। जैसे वक्फ आदिवासी इलाकों में लोगों की जमीन पर पहले नोटिस देता है , फिर गरीब व्यक्ति जब ट्रिब्यूनल का चक्कर लगाते लगाते थक जात है , तो उसे कहा जाता है कि अगर वह इस्लाम अपना लिया है , तो उसकी जमीन बच जाएगी और उसके नाम हो जाएंगी… गरीब व्यक्ति जमीन के लिए धर्म परिवर्तन कर ही लेता है..
आप ये पटना की वीडियो देखिए .. जहां सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कई हिंदुओं की जमीनें को वक्फ घोषित कर दिया है… और ये हिंदू परिवार 200 सालो से इस जमीन पर रह रहे है… इनके पास कागजात भी है…
आप एक और वीडियो को देखिए… इस मुस्लिम परिवार के जमीन को वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है… ये महिला कैसे रो रो कर वक्फ को सबसे खतरनाक बता रही है…
अब ये तो एक दो उदाहरण थे… ऐसे हजारों केस पूरे भारत में चल रहे है… इस हिंदुत्व विरोधी बोर्ड को जल्द से जल्द सरकार को खत्म करना चाहिए , क्योंकि इस वक्फ बोर्ड को कुछ खास मुस्लिम लोग ही संचालन कर रहे है.. और इसमें हिंदू और मुस्लिम सभी की जमीनें का जबरन हड़पा जा रहा है…
अच्छा , कुछ सरकार इस वक्फ बोर्ड को करोड़ों रुपए की सहायता भी करती है… जैसे कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनाव 2014 में मुस्लिम वोट बैंक पाने के लिए दिल्ली की 123 सरकारी संपत्ति को वक्फ बोर्ड के हवाले कर दी. इसमें 61 जमीनें दिल्ली के भू एवं विकास कार्यालय की और 62 जमीनें दिल्ली विकास प्राधिकरण की थी. वही आपको जानकर आश्चर्य होंगा की जब यह गैजेट निकला तब देश में आचार संहिता लागू हो चुका था. हालांकि इस पर अभी कोर्ट में केस चल रहा है.
वन इंडिया के एक रिपोर्ट के अनुसार , केजरीवाल सरकार 2015 से वक्फ बोर्ड को 101 करोड़ रुपए दे चुकी है.
वही कांग्रेस सरकार द्वारा कर्नाटक में हाल ही में 100 करोड़ रूपए वक्फ बोर्ड को दी गई , ताकि वक्फ प्रॉपर्टीज का विकाश हो सके।
साल 1989 में उत्तरप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की सभी बंजर, भीटा, ऊसर जमीनें को वक्फ के रूप में दर्ज की जाएंगी. और वक्फ बोर्ड ने तेजी से कब्जा करना शुरू कर दिया. और प्रदेश की लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं. बाद में जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आई तो इस अध्यादेश को रद्द कर दिया और सभी जमीनों का सर्वे करने का निर्णय लिया.
अब मोदी 3.0 ने वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन को लेकर संसद में प्रस्ताव रखा है , जिसमे
- अब वक्फ बोर्ड को कोई भी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले नोटिस जारी करनी पड़ेगी और सारे वक्फ संपत्तियों का ब्यौरा एक केंद्र स्तर की वेबसाइट पर जारी करनी पड़ेगी.
- वक्फ संपत्तियों के संवेसक्षण का अधिकार अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की होंगी. वही बोर्ड के फैसले को 90 दिनो के अंदर उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का प्रावधान होंगा.
- इसके अलावा केंद्र वक्फ बोर्ड या राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो महिलाओं का होना अनिवार्य है.
- वक्फ बोर्ड के अपने सारे संपतियों का ब्योरा सार्जनिक करना पड़ेगा .. और अब वक्फ बोर्ड मेंबर में किसी भी धर्म के लोग शामिल हो सकते है.
अब सवाल आता है , भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में वक्फ एक्ट जैसा धार्मिक कानून कैसे लागू हो गया? हिंदू, ईसाई और सिखों के लिए ऐसा कोई एक्ट क्यों नहीं है? सिर्फ मुसलमानों के लिए ही क्यों है ??? जबकि तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और इराक जैसे मुस्लिम देशों में न तो वक्फ बोर्ड है और न ही ऐसा कोई वक्फ कानून… फिर भारत में क्यों ???
आप आवाज उठाइए इस वक्फ के खिलाफ वरना आपकी भी जमीनें कभी न कभी इसके चपेट में आ जायेंगी …
जय हिंद